Anant Ke Yaatri/अनंत के यात्री

Anant Ke Yaatri/अनंत के यात्री

HindiEbook
Osho/ओशो
Penguin Random House India Private Limited
EAN: 9789357080682
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धम्मपद : बुद्ध-वाणी
लोभ संसार है, गुरु से दूरी है
जिसके मन में आज भी बुद्ध के प्रति अपार श्रद्धा है, उसके लिए बुद्ध आज उतने ही प्रत्यक्ष हैं जैसे तब थे। कोई फर्क नहीं पड़ा है। श्रद्धा की आंख हो तो समय और स्थान की सारी दूरियां गिर जाती हैं। आज हमसे बुद्ध की दूरी पच्चीस सौ साल की हो गई, यह समय की दूरी है। लेकिन प्रेम के लिए और ध्यान के लिए न कोई स्थान की दूरी है, न कोई समय की दूरी है। ध्यान और प्रेम की दशा में समय और स्थान दोनों तिरोहित हो जाते हैं। तब हम जीते हैं शाश्वत में, तब हम जीते हैं अनंत में। तब हम जीते हैं उसमें, जो कभी नहीं बदलता; जो सदा है, सदा था, सदा रहेगा। एस धम्मो सनंतनो! उसको जान लेना ही शाश्वत सनातन धर्म को जान लेना है।
EAN 9789357080682
ISBN 9357080686
Binding Ebook
Publisher Penguin Random House India Private Limited
Publication date December 20, 2022
Pages 432
Language Hindi
Country India
Authors Osho/ओशो